इण जग मांहि अनेक, हुवा हुवै नर होवसी।

करै सुक्यारथ केक, रंग जिकांनूं रांमला॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी नीतिपरक संबोधन काव्य ,
  • सिरजक : आयस देवनाथ ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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