धीगां देवै ध्यान, रांकां सूं रूठो फिरै।
पासे नह परधान, समझावै कुण सांवरा॥
भावार्थ:- हे साँवरे! जो जबरदस्त है उन पर तो तू ध्यान देता है और जो गरीब हैं, उनसे रूठा फिरता है पास में तुम्हारे कोई मंत्री भी तो नहीं है, तुम्हें समझावे भी तो कौन?