सासू आरियौ साल, जाया पांचूं जो मरद।

खोटौ रचियौ ख्याल, सह धर आया सांवरा॥

भावार्थ:- मेरी सास ने शत्रुओं को दु:ख पहुँचाने वाले जो पांच वीर पैदा किए थे। उन्होंने जुए का बुरा खेल रचा; उन्होंने दांव पर सब कुछ लगा दिया! अब वे कहीं के रहे!

स्रोत
  • पोथी : द्रौपदी-विनय अथवा करुण-बहत्तरी ,
  • सिरजक : रामनाथ कविया ,
  • संपादक : कन्हैयालाल सहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.)
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