गज नै ग्रहियौ ग्राह, ते सहाय हुय तारियौ।
वारी मो बैराह, बैठौ व्हे वसुदेव रा॥
भावार्थ:- हे वसुदेव के पुत्र! जब ग्राह ने हाथी को पकड़ लिया था तब तुमने ही सहायक होकर उसका। उद्धार किया था। अब जब मेरी बारी आई तभी बहरे होकर कैसे बैठ गये।