बोलै सांचा बोल, काचा नां आरै करै।
तिण मांणस ना तोल, मेर प्रमांणै मोतिया॥
हे मोतिया! जो मनुष्य सदैव सत्य बोलता है, झूठ कभी स्वीकार नहीं करता ऐसे सत् पुरुष का मान-सम्मान समेरु पर्वत के समान प्रतिष्ठित होता है।