बोलै सांचा बोल, काचा नां आरै करै।

तिण मांणस ना तोल, मेर प्रमांणै मोतिया॥

हे मोतिया! जो मनुष्य सदैव सत्य बोलता है, झूठ कभी स्वीकार नहीं करता ऐसे सत् पुरुष का मान-सम्मान समेरु पर्वत के समान प्रतिष्ठित होता है।

स्रोत
  • पोथी : मोतिया रा सोरठा ,
  • सिरजक : रायसिंह सांदू ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : श्री कृष्ण-रुक्मिणी प्रकाशन, जोधपुर
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