बांधै मूह बजार, हाटां मै वंका हलै।
वाजै जद तरवार, मैंण तणा व्है मोतिया॥
हे मोतिया! अपनी दाढ़ी-मूंछ कंघी कर मुँह पर (दाढ़ी-मूंछ पर) पट्टी बाँधे शूरवीर होने का झूठा प्रदर्शन करते अनेक अभिमानी बाजार की हाटों के सामने अकड़ दिखाते शान से चलते हैं परन्तु जब तलवार खनकती है, तब दिखावटी शूरवीर मोम के समान मुलायम हो जाते हैं (अर्थात् पौरूष-शून्य हो जाते हैं)।