अजै धणी ऊजैण, भणजै वातां भोज री।
जुग में दाता जेण, मरै न कीरत मोतिया॥
हे मोतिया! इतने युग बीत जाने के बाद आज तक उज्जैन के प्रख्यात दानवीर अधिपति भोज परमार की दानशीलता की पुनीत बातें आदर-सहित स्मरण की जाती है। इसीलिए कहते हैं कि संसार में दातारों की कीर्ति कभी नही मरती।