निकळंग नांव निरंजण जोगी, तास गुरु रा चेला।
हार चलां तरवारं न बांधा, सबद बै’ज्यूं सेला।
मोज करो तो फोज दिखावां, ताहे तुरी तबेला।
नौलख फोज कंथा में पै’रां, आप रहां अकेला।
आभ घुरै ज्युं नोपत बाजै, चांदो सूरज सहेला।
नौसौ नदियां सिर पर सोवै, सात समंद मुख रेला।
रामत कर-कर रम्मत मांडी, खालक कर-कर खेला।
तीन लोक तराजू तोलां, इसड़ा देवै महोला।
जोग जुगत रा मारग न्यारा, जोगी पंथ दुहेला।
नौ दाणू आगै निरदळिया, अब काळंगनै हेला।
काळंग मारां कुळ बरतावां, तळ-तळ काढां तेला।
सांसै तणो संसार उपायो, जुग-जुग इमरत मेला।
गुरु परसाद दाखवै देवो, राखो सत सहेला॥