पढियां आगळ वीनती, अरज करों अरथाय।
दु:ख मत पा’ज्यो देवजी, बूझों भोळै भाय।
गैण लेवो असमानरा, लीनो जुग भरमाय।
पोथी बांचों पोसवीं, सतगुरु सबदां भाय।
जेठां बिलखी बनास्ती, घर डाकण ज्यूं खाय।
जेठां क्यूं सायब जागिया, सूता सावण मांय।
सावण रचवंती धरा, मनस्या पूरी आय।
फळैज फूलै बनास्ती, सोरम सुरगां जाय।
राजा इंदजी जागिया, जागी धरती माय।
नवखंड पावस बरसिया, धरा रैयी नेठाय।
तेतीसां रा मन रळया, भंवर रैया भणकाय।
पांचूं पांडू जागिया, छठी कुंतादे माय।
गोरख जोगी जागिया, सींगी नाद बजाय।
का’न क्रिसन हर जागिया, गढ मथरा रै मांय।
दाता बसै दुवारका, कायम काबां मांय।
जैती खोस्या पोसवां, गोप्यां दिया लुटाय।
चांद सूरज दो भाइयो, पून ज पाणी दोय।
अै कुण बायर राखिया, सोय बतावो मोय।
सकळ दीप नौ खंड में, अै कद रैयसी सोय।
एक घड़ी ओझट हुयां, सौ जुग परलै होय।
कायम कोठा छांदिया, बूठा अमी न धार।
घास हुवै खड़ दोखड़ा, गऊ तजै सिर भार।
जद आ नौ खंड पिरथमी, हांडै घर घर बार।
पुरख तजैला गौरियां, माय तजैली बाळ।
पढियां सिध देवो कहै, देव सूतां अेह विचार।
ऊंघा जोसी काढो भेव, सावण मास सुवाणो देव॥