घट ही में चंद चकोरा साध घट ही चंद चकोरा॥
दामिनी दमकै घनहर गरजै बोलै दादुर मोरा।
सतगुरु गस्ती गस्त फिरावै फिरता ज्ञान ढँढोरा॥
अदली राज अदल बादसाही पाँच पचीसो चोरा।
चीन्हो सबद सिंघ घर कीजै होना गारत गोरा॥
त्रिकुटी महल में आसन मोरो जहं न चलै जम जोरा।
दास ग़रीब भक्त कों कीजै हुआ जात है भोरा॥