“साचांणी समझ रौ इज डंड व्हिया करै। हर जुग में नासमझ लोग समझण वाळां नै डंड दियौ अर वांनै फांसी रै फंदै लटकाया।“

स्रोत
  • पोथी : बातां री फुलवाड़ी (भाग-5) ,
  • सिरजक : विजयदान देथा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
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