”गिरस्तियां नै समझावण रौ जिम्मौ तौ संतां रौ है, बापड़ा गिरस्ती संतां नै कांईं समझावै!“

स्रोत
  • पोथी : बातां री फुलवाड़ी (भाग-5) ,
  • सिरजक : विजयदान देथा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
जुड़्योड़ा विसै