चावा कवि। 'सीर रो घर' कविता संग्रै पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
अेक तारो टूट्ग्यो
कीं तौ बोल-म्हारां बीरा
जीवायग्यो बादळ
पेड़/बिरखा
पा’ड़, जड़ नी है