श्याम महर्षि
आठवें दसक री राजस्थानी कविता रा उल्लेखणजोग कवि। त्रेमासिक पत्रिका 'राजस्थली' रा संपादक।
आठवें दसक री राजस्थानी कविता रा उल्लेखणजोग कवि। त्रेमासिक पत्रिका 'राजस्थली' रा संपादक।
जन्म: 05 Oct 1943 | रतनगढ़,भारत
श्याम महर्षि राजस्थानी रा चावा कवि-संपादक-अनुवादक है। वांरौ जलम 7 अक्टूबर 1943 नै रतनगढ़ मांय हुयौ। आठवें दसक री, खासतौर सूं नई कविता में जिका कवि उभर परा साम्ही आया; श्याम महर्षि वां में एक ठावौ नाम है। श्याम महर्षि री भाषा रौ मुहावरौ साव रेगिस्तानी अर उठै री अबखाया नै परोटतौ दीसै। वै सुरुआत सूं ई प्रगतिशील विचार रा पखधर रह्या;जिणरी झांई वांरै रचना-संसार में पड़तख़ दीसै।
बरस 1961 में श्याम महर्षि अर वांरा भायलां श्री डूंगरगढ़ में भाषा अर साहित्य नै समर्पित संस्थान राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति संस्था खोली;जिकी आज लग साहित्यिक गतिविधियां नै आगै बधावै। वै राजस्थानी री पुराणी पत्रिका ‘राजस्थली’ रौ घणै अरसे सूं प्रबंधण-संपादन पण करता रैया है।
वांरौ प्रकाशन-संपादन रौ काम विस्तृत है; अठै थोड़ी बानगी सारु उल्लेख करयौ जावै—
कविता संग्रै : ‘उकळती ओकळ’, ‘साच तो है’, ‘मेह सूं पेल्यां’, ‘अड़वो’, ‘सोनल बेळू रो समदर’, ‘कीं तो बळै’
अनुदित काम : ‘आज री विश्व कविता’, ‘ब्रेख्त री टाळवीं कवितावां’, ‘नूवै बास में’ (अरुण कमल रौ कविता संग्रै)
संपादित पोथियां : ‘पांवडा कहाणी रा’, ‘उमस’, ‘झरोखो’, ‘राजस्थानी नाटक’, ‘आठवें दशक री प्रगतिशील कविता’, राजस्थानी भाषा : आंदोलन अर मानता’, ‘संस्कृति वैभव’
श्याम महर्षि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर रा दो साल अध्यक्ष ई रैया। इण बगत वै श्री डूंगरगढ़ मांय निवास करै।