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संत मूलदास जी
रामस्नेही संत कवि। सींथल पीठ रै महात्मा नरायणदास जी वामटसर रा सिष्य अर कालू गांव मांय रामद्वारा रा संस्थापक संत।
रामस्नेही संत कवि। सींथल पीठ रै महात्मा नरायणदास जी वामटसर रा सिष्य अर कालू गांव मांय रामद्वारा रा संस्थापक संत।
महात्मा मूलदास जी रौ जलम बीकानेर जिले रै वामटसर गांव में हुयौ। बाळपण सूं ही आपरौ आध्यात्म रै प्रति लगाव अर हियै में ज्ञान री ललक ही। आपरै जुग रै लोगां री अज्ञानता नै जद आप अनुभव करी तो जन सामान्य नें आपरै जीवण रौ लक्ष्य बतावण सारूं आप रै हिरदै में ज्ञान री जोत जागी। ईश्वर रौ आदेस, धरम रक्षा रौ ध्येय, लोक ने शिक्षा अर आत्म उद्धार री भावना सूं प्रेरित हुय'र आप निरगुण-निराकार भगवान राम री उपासना खातिर ज्ञानदाता अर मार्ग बतावण वाळै श्रीगुरु री खोज शुरू करी। सेवट श्री हरीरामजी महाराज सींथल रा पाटवी सिष्य संत नरायणदास जी सूं भेंट हुया आप री खोज सफल होई अर आप वां सूं रामस्नेही संप्रदाय री दीक्षा ग्रहण करी। दीक्षा लैवण रै पछै संत मूलदास जी महाराज कई बरस तक संपूर्ण ज्ञान री प्राप्ति सारूं सींथल रह्या। पूर्ण रूप सूं ज्ञान प्राप्त करणै रै पछै आप गुरु आज्ञा सूं आपरी साधना भौम 'कालू गांव' तहसील लूणकरणसर जिला बीकानेर बणाई। कालू गांव आपरै भगति रै प्रताप सूं अध्यात्म और धरम री दिशा में रांम नाम रूपी ज्योति सूं उजळौ हुयौ। कालू गांव मांय आप रामद्वारा रौ निरमाण कराय'र ज्ञान री अखंड ज्योति जलाई। ओ पवित्र तपोस्थली रामद्वारो आज भी आपरै राम नाम रूपी उपदेसां नै रामस्नेही भगतां तक पहुंचावण में अग्रणी है। संत मूलदास जी री 'बाणी' साहित्य रै रूप में आज लोक जीवन रौ पथ-प्रशस्थ कर रैयी है। आपरी बाणी जन सामान्य रै जीवन नै इदकौ बणावण वाळै आत्मज्ञान, आत्मकल्याण अर जनहित री भावनां सूं पूरी भरी है। आपरी अणभै बाणी में रामस्नेही संत संप्रदाय रै दूसरा संतां री भांति कई सारा अंगां रै सागै ही कई नया प्रसंगां रौ समावेश भी है जिण में गुरु महिमा, अगम बोध, सबद प्रचौ, सबद प्रताप, ब्रह्म प्रकास, तिथौ के प्रकार, फुटकल दूहा, झरझरौ, चिंतावणी, चाणक सब्दी, रेखता, कवल, भगतमाल, कवित, कुंडलियां, हरजस अर चंद्रायणां आद नाम आदरजोग है।