समसदीन
नागौर रा काज़ी अर संत जाम्भोजी सूं प्रभावित मुसलमान कवि। आपरी रचनावां काया री क्षणभंगुरता, अबखाया अर मायाजाळ में भरमायोड़े मिनख नै ज्ञान करावण रै सागै ही देस अर समाज नें खरौ ज्ञान अर चेतना रौ आलोक देवै।
नागौर रा काज़ी अर संत जाम्भोजी सूं प्रभावित मुसलमान कवि। आपरी रचनावां काया री क्षणभंगुरता, अबखाया अर मायाजाळ में भरमायोड़े मिनख नै ज्ञान करावण रै सागै ही देस अर समाज नें खरौ ज्ञान अर चेतना रौ आलोक देवै।
राजस्थानी संत साहित्य में ज्ञान जोग, मान जोग अर परोपकार री भावना रै सागै–सागै जीवन दरसण भी घणी गहराई में परगट हुयौ है। सांसारिक ज्ञान रौ बोध अर आतम दीठ री अनुभूति संत कवियां री बाणी मांय अंजसजोग है। संत महात्मां रै प्रताप सूं अध्यात्म,धरम दरसण, लोकनीति, व्यवहार, खरो ज्ञान अर चेतना रौ उजास इंण धरती माथै हुयौ। गूढ सूं गूढ़ बात नें भी सरल भाषा में कैवण अर समझावण री कला संत साहित्य री खास विशेषता अर पहचाण है।
समाज में आपरौ गूढ़ ज्ञान रूपी मोती बरसावण वाळा संत कवियों में मुसलमान कवि समसदीन रौ महत्वपूर्ण योगदान है।
समसदीन राजस्थान रै नागौर जिले रा रैवण वाळा काजी हा, जका आपरै जीवण रौ घणकरौ समै जाति, धर्म सूं ऊपर उठ'र लोक-समाज में जागरूकता पैदा करण में लागायौ।
समसदीन रै बारे में कह्यौ जावै है कि राव दूदा अर गुरु जांभोजी री भेंटवार्ता नें देखण रै पछै कवि रौ ध्यान जांभोजी कांनी झुक गियौ। कवि गुरु जांभोजी री आध्यात्मिक सगति, ज्ञान अर काम सूं परिचित होय'र वां रा भगत बण गिया। कई बरसां ताईं गुरु जांभोजी री चाकरी में हमेशा हाजिर रैवता थकां जीवन बितायो। गुरु जांभोजी विश्नोई पंथ री थरपणा करी उण समै सूं ले'र सात -आठ बरस पछै तक संत स्वरूप जीवन जीवतां थकां आपरी सांसारिक यात्रा पूरी कर'र परलोक गिया
गुरु जांभोजी नें लोगां नें इमरत रूपी पाहळ पाय'र आपरा पंथ में दीक्षित करता देख'र संतकवि समसदीन लोक रै जीवन नें करीबी सूं निरख'र वां नै संबोधित करता थकां साखी रचना रौ सिरजण कियौ। इण बात रौ सबूत इण ओळियां में निंगै आवै-
हंसा हंदी टोळी आवै, सरवर करण सनेह।
जांह को पाहळि पातिग नासे, लहियो मोमिण एह ॥
समसदीन रै काव्य में जीवण में आगै बढण रौ, ऊंचौ उठण रौ अर ऊजळै मारग बैवण रौ संदेश है। आपरौ साहित्य काया री क्षणभंगुरता, अबखाया अर मायाजाळ में भरमायोड़े मिनख नै ज्ञान करावण रै सागै ही देस अर समाज नें खरौ ज्ञान अर चेतना रौ आलोक देवै।
सन् 1493 ई. या इण सूं कुछ बगत पैला दिल्ली में समसदीनजी रौ परलोक गमन होवणौ मान्यौ जावै अर बतायौ जावै उठै कुतुबमीनार रै आसपास कठैई वांने दफनाइज्या। स्वर्गवास रै समै वां री आयु 60 वर्ष रै लगैटगै कही जावै है। इण अंदाज सूं समसदीन रौ समै लगभग संवत् 1490-1550 अनुमानित कियौ जा सकै। विशनोई समाज में आदर पावण रै साथ ही नागौर जिले रै मुसलमानों में भी संतकवि समसदीन रौ नाम बड़े आदर अर गौरव रै साथ लियौ जावै।