साहबराम राहड़
गत सदी रा सिद्ध, अनुभवी, ज्ञानी-ध्यानी अर पूगता संत कवि। गुरु जांभोजी रै जीवन अर विश्नोई पंथ रै इतिहास पर आधारित महताऊ आख्यान काव्य 'जम्भ सार' रा सिरजक।
गत सदी रा सिद्ध, अनुभवी, ज्ञानी-ध्यानी अर पूगता संत कवि। गुरु जांभोजी रै जीवन अर विश्नोई पंथ रै इतिहास पर आधारित महताऊ आख्यान काव्य 'जम्भ सार' रा सिरजक।
आसण पदमल गाय विराजै
आत्म ब्रिह्मा ऐक होय जाई
अपनी इंछ् या डोलै नारी
छोटी देही बहुत अहारा
चोरी माया साहस करैं
धर्म अर्थ कांमहि सबै जग
फिर चौको देयर करो रसोई
गुर का कह्यो बचन नहिं मानै
खींचत चीरहि नार पुकारी
मन बुधि इन्द्रिय सबनि विचारै
निंद्रा अति आलस अधिकाई
पीतंबर तन अध कवि राजै
रज तम गुन दोऊं अधिकांही
सब जन के सनमुख हि विराजै