मेघराज मुकुल
राजस्थानी कविता जातरा रा सिरैनांव कवि-गीतकार। 'सैनाणी' कविता सारु खास पिछाण।
राजस्थानी कविता जातरा रा सिरैनांव कवि-गीतकार। 'सैनाणी' कविता सारु खास पिछाण।
उपनाम: मेघराज मुकुल
श्री मेघराज 'मुकुल' रो जनम 17 जुलाई, 1923 नै राजगढ़ (चूरू) में हुयो। इणां रै पिताजी रो नांव श्री लक्ष्मीचंदजी पेसकार हो। 'मुकुल' रो जनम अेक साधारण परिवार में होवतां थकां ई आपरी लगन अर मैणत रै पाण अेम.अे. तांई री भणाई करी अर गुणां रै कारण राजस्थान रा सांस्कृतिक अधिकारी बण्या। आपनै मां रै स्नेह सूं कविता करण री प्रेरणा मिली। सन् 1937 सूं इणां री लेखणी आपरो जादू दिखावण लागगी, जिकी छेवट दिनां तांई आपरो जादू दिखावती रैयी। ‘मुकुल' रो सै सूं पैली 'उमंग' नांव रो अेक कविता-संग्रै छप्यो, जिणमें राजस्थानी अर हिंदी री कवितावां ही। 'सैनाणी', 'सीमा रेखा', 'कोडमदे', 'डांफर', 'जाग उठ्या अंगारा', 'राणी पद्मावती', 'चंवरी', 'सैनाणी री जागी जोत', 'हिरौळ', 'आण री बात', 'दुर्गावती', 'सत्ता रो त्याग', 'छियां तावड़ो', 'बेटी री लाज', 'आज आंतरो घणो बण्यो' आद काव्यां री रचना वां करी। मेघराज 'मुकुल' रौ काव्य लोककथावां रै ओळै-दोळै घूमता रैयौ। आ बात बतावण री जरूरत नीं है कै आं में घणकरी काव्य-कथावां राजस्थान रै इतिहास रै पानां सूं लियोड़ी लोकचावी छोटी-छोटी कथावां है। 'मुकुल’ इतिहास री घणी चावी आं कथावां नैं फगत काव्य-रूप दियो है, कथा में आपरी कोई मैलिक उद्भावना नीं भरी। 'सैनाणी' काव्य मांय हाड़ी राणी री मार्मिक कथा है। हाड़ी राणी रै हाथां री मैंदी ई नीं ऊतरी, जित्तै ई रणभोम में जावण रा नगाड़ा बाजण लाग्या। चूंडावत सरदार रण में तो गयो, पण मन हाड़ी राणी री ओळं में अळूजग्यो, तद आपरै दूत नैं भेज'र राणी सूं सैनाणी मांगी। तद हाड़ी राणी आपरो माथी बाढ'र दे दियो। सैनाणी री आ कथा जातीय गौरव, त्याग अर आतम-बलिदान रै भावां सूं भर्योड़ी है।
चंवरी काव्य में पाबूजी राठौड़ री कथा नैं घणै फूठरापै रै सागै उकेरी है। इण मांय पाबूजी राठौड़ अर सोढी राणी रै ब्यांव रो चित्रण है, जिणमें पाबू 'फेरा' बीच में छोड'र आपरै वचन री पाळणा करै। 'कोडमदे' में शार्दूल मारग में काम आ जावै तद कोडमदे सती होवण सूं पैली आपरा मैंदी लाग्या हाथ अेक आपरै सासरै अर दूसरो पीरै भेजै—इण रो सांगोपांग चित्रण हुयो है। 'मुकुल' राजस्थान रै जूनै गौरव रो बखाण करण रै सागै आपरै काव्य में राजस्थान रै लोकजीवण रा, प्रकृति रा फूठरा-फूठरा चित्राम खींच्या है। उणां में संवेदना, साहस, आसा अर क्रांति रा ऊजळा, सुरंगा रंग भर्या है। राजस्थानी कविता में नव जागरण में मुकुल रो अेक न्यारो जुग है। राजस्थान री गौरवगाथावां नै ‘मुकुल' मीठी भासा में अर भासा सूं भी मीठै गळै सूं सुणावता तद लाखां री भीड़ भाव-विभोर हो जावती। आज आखा राजस्थानी-प्रेमी मेघराज ‘मुकुल’ नैं 'सैनाणी' कविता रै कविरूप जाणै।