मदन सैनी
चावा लेखक-संपादक। भासा अर व्याकरण री गै'री समझ।
चावा लेखक-संपादक। भासा अर व्याकरण री गै'री समझ।
जन्म: 03 May 1958 | shree dungargarh,भारत
मदन सैनी रौ जलम 3 मई 1958 नै बीकानेर जिले रै श्रीडूंगरगढ़ कस्बे मांय हुयौ। वै ठावा गद्यकार है। आपरी कहाणियां 'सोनै रो सूरज', 'दया' अर 'फुरसत’ माध्यमिकशिक्षा बोर्ड अर विश्वविद्यालय रै पाठ्यक्रम में सामिल है। 'फुरसत', 'भोळी बातां', 'आस-औलाद' (राजस्थानी कहाणी संग्रै), 'चांदी रो चबूतरो' (बाल कहाणी संग्रै) अर 'सिरजण री साख' (राजस्थानी निबंध संग्रै) आद वांरी टाळवी पोथियां प्रकाशित है। वांरै करियोड़े अनुवाद ‘मदन बावनियो’ माथै केन्द्रीय साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली सूं अनुवाद पुरस्कार अर ‘फुरसत’ कहाणी संग्रै माथै राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर सूं ‘मुरलीधर व्यास कथा पुरस्कार’, नगर विकास न्यास, बीकानेर सूं ‘एल. पी. टैस्सीटोरी राजस्थानी गद्य पुरस्कार सूं वै आदरीज्योड़ा है। मदन सैनी राजस्थानी भासा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर री मुख-पत्रिका ‘जागती जोत' रा संपादक ई रैया।