ग़ज़ल8 कुण सुणै है अब बातां स्याणी कळह रा मूळ चूंच दी है बीं ने चूण मिलैगी जद बाड़ ही खेत नै खावै माणस
रतनलाल दाधीच शान्ति शर्मा प्रवीण सुथार नीतू शर्मा कृष्णगोपाल शर्मा श्याम महर्षि अनुराग सुभाष पाटोदिया