ग़ज़ल4 खूब दनां में आया जी न्हं मंदर की छै अर न्हं मस्जिद की भाई पैली का रजवाड़ा देख्या सब सूं महंगी काया जी
रघुवीर प्रजापति मुकुट मणिराज किशन ‘प्रणय’ रशीद अहमद पहाड़ी सावित्री व्यास किशन लाल वर्मा राजेन्द्र सोलंकी गोरस प्रचण्ड