सब सूं महंगी काया जी

दो कौड़ी की माया जी

छोरो लाग्यो धंधा सूं

म्हां तो गंगा न्हाया जी

टाबर की मां दफतर गी

पाळै-पोसै आया जी

करवा तो म्हां नैं पूज्या

खाजा थांनैं खाया जी

पाड़ोस्यां सूं होड़ करी

म्हां भी टी.वी. लाया जी

‘कमसिन’ नांव करयो जग मांय

थांकै बळ क्यूं आया जी

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली लोकचेतना री राजस्थानी तिमाही ,
  • सिरजक : कृष्णा कुमारी ‘कमसिन’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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