गजानन वर्मा
राजस्थानी गीत-काव्य परम्परा मांय बड़ रूंख सरीखी छवि।
राजस्थानी गीत-काव्य परम्परा मांय बड़ रूंख सरीखी छवि।
जन्म: 23 May 1926 | रतनगढ़,भारत
गजानन वर्मा रौ जलम 23 मई 1926 नै रतनगढ़ मांय हुयौ। वां राजस्थानी काव्य-मंच रा सिरै गीतकार-कवि रै रूप में लूंठी पिछाण कायम करी। वांरौ ख्यात गीत 'धर कूचां भाई धर मजलां' आज ई राजस्थानी गीत परंपरा री हेमाणी है। लोक-संवेदणा सूं सराबोर वांरा गीतां रौ असर निस्चै ई निरवाळौ हौ अर उण दौर में मंच माथै राजस्थानी कविता री लोकप्रियता निस्चै ई आपरी जीती-जागती मिसाल ही। वांरा कैई राजस्थानी कविता संग्रै प्रकाशित व्है चुक्या है, जिण मांय 'धरती री धुन', 'सोनो निपजै रेत में’ अर 'बारहमासा' सामिल है। प्रगतिशील चेतना रा रचनाकार गजानन वर्मा रै गीतां में मजूर-किसानां री पीड़ा अर राज री न्याय-व्यवस्था में सामिल विडरूपतावां रा साफ़ अैनांण दीसै। वै अखिल भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) री कार्यकारिणी रा सदस्य भी रैया। इण साहित्यिक जातरा रै साथै राजस्थानी संगीत मांय ई वांरी गाढी साझेदारी रही। डॉ. भूपेन हजारिका अर सलिल चौधरी सरीखा नामी-गिरामी संगीतकारां अर फिल्मकारां रै साथै वां राजस्थानी फिल्म-निरमाण मांय उल्लेखनीय काम पण कर्यौ। 17 मई 2012 नै आप सौ बरस कर ग्या।