चिमनजी कविया Marwar अठारवीं सदी रा चावा डिंगल कवि अर विद्वान। 'सोढायण' अर 'हरिजस-मोख्यार्थी' जैड़ी घणी ठावकी रचनावां रा सिरजक।
ध्यावै सोई उधरै मिळै पतंगौ जोत मां प्रतमा इहं विध पूजियै सोही दुख एता सहै सुख दिखलायौ सुरग को ब्रह्माचार साजै व्रती