ध्यावै सोई ऊधरै, नीच ऊंच कुल नांय।

कहा आस इण देह की, मिलौ वैग सत मांय॥

स्रोत
  • पोथी : हरीजस-मोख्यारथी (सोढायण) ,
  • सिरजक : चिमनजी कविया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम