चन्द्र प्रकाश देवल
सिरैनांव कवि-उल्थाकार अर संपादक। पदमश्री अर साहित्य अकादमी रै सिरै पुरस्कार सूं सम्मानित।
सिरैनांव कवि-उल्थाकार अर संपादक। पदमश्री अर साहित्य अकादमी रै सिरै पुरस्कार सूं सम्मानित।
जन्म: 14 Aug 1949 | उदयपुर,भारत
चंद्रप्रकाश देवल रौ जलम उदैपुर जिले रै गोटीपा गांव में 14 अगस्त 1949 नै हुयौ। कविता री बारखड़ी वांनै आपरै दादा सूं मिळी। वांरा दादा डिंगळ रा पारखू अर रसिक हा। उठै सूं उठियोड़ी कविता री प्रीत चन्द्रप्रकाश देवल नै राजस्थानी कविता जातरा रै सिरै कवियां में ऊभा कर दिया। सुरुआत हिंदी सूं पण कविता री असली ओळख मायड़भाषा में देखतां थकां वां राजस्थानी में ई लिखणौ सुरु करयौ अर आ जातरा आज-लग सरू है।
राजस्थानी री नई कविता रा प्रमुख कवि रै तौर माथै वांरौ नाम लेईजै। सातवें दसक सूं वांरौ रचनाकरम सुरु व्है। वांरै सुरुआती दौर रै संग्रै ‘पागी’ सूं लेय’र आज तांई री रचना-जातरा में हर संग्रै में भासा अर शिल्प रै स्तर माथै बदळाव व्हियौ है। एक समै पछै वांरी कविता विसै-केन्द्रित व्हैगी; ‘मारग’, ‘तोपनामा’ आद संग्रै मिसाल रै तौर सूं देख्या जा सकै। चंद्रप्रकाश देवल रौ दूजो संग्रै ‘कावड़’ नाम सूं साम्ही आयौ। इण संग्रै री भूमिका विजयदान देथा लिखी अर उणमें केई ओळमा कवि नै वां दिया। कावड़ रौ काव्य-सुवाद एकदम अलग लखावै। साव अलग बिम्ब अर वां सूं निकळियोड़ी संवेदना राजस्थानी कविता में एक थांबौ ऊभौ करै। वांरी कवितावां राजस्थानी कविता री प्रगतिशील परम्परा में पैली पांत में ऊभी लखावै।
धर्म, द्वेष, समाज अर उणरी सामाजिकी में बापरियोड़ी भूंडी विडरूपतावां, सामंती जीवन अर स्त्री जूण, भाषा अर भरोसो आद वांरी कविता रा वाल्हा टूल है। राजस्थानी कविता में ‘पर्सनल इज पोलिटिकल’ थीम रा जिका कम कवि है;चंद्रप्रकाश देवल वांमें सूं एक है। वांरौ गद्य लेखन कम देखण कम ई देखण नै मिलै पण वांरी चावी कहाणी ‘बस में रोझ’ पाठकां घणी पसंद करी।
बरस 1983 में चंद्रप्रकाश देवल आपरै साथियां सागै मिल’र चारण साहित्य संस्थान री थापना करी अर चारण साहित्य सूं रूबरू करवाण रौ महताऊ काम करियौ। वै केंद्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली में राजस्थानी भासा रा संयोजक पण रैया। राजस्थानी साहित्य में वांरै जाजै योगदान सारु वांनै अलेखूं सनमान मिळ्या;जिणमें बरस 1979 में केन्द्रीय साहित्य अकादमी रौ सिरै सम्मान, बरस 2011 में पदमश्री, राजस्थान साहित्य अकादमी रौ मीरा सम्मान, भारतीय भासा साहित्य परिषद् रौ ‘टांटिया’ पुरस्कार सामिल है।
चंद्रप्रकाश देवल री कीं टाळवीं पोथियां नीचे दीरीजी है—
राजस्थानी कविता संग्रै : ‘पागी’, ‘कावड़’, ‘मारग’, ‘तोपनामा’, ‘राग-विजोग’, ‘तीजौ अयन’, ‘चालां ओळूं रै देस’, ‘उणीयारत रौ चौथौ पांवडो’, ‘जुगलबंदी’, ‘अबोला ओळबा’
हिंदी कविता संग्रै : ‘आर्तनाद’, ‘बोलो माधवी’, ‘स्मृति-गंधा’, ‘अवसान’
अनुवाद (राजस्थानी) : ‘सजा’ (फ्योदोर दोस्तोयेव्स्की रै ‘क्राइम एंड पनिशमेंट रौ अनुवाद), ‘गोडो री उडीक में’ ( सेम्युअल बेकेट रै नाटक ‘वेटिंग फोर द गोडो रौ अनवाद), ‘वंश भास्कर’ (हिंदी में) उपनिसदावली (सात उपनिसदों का काव्यानुवाद), ‘काळ में कुरजां’ (केदारनाथ सिंह रै हिंदी कविता संग्रै रौ अनुवाद), ‘कठै ई नीं वठै’ ( अशोक वाजपेयी रै हिंदी कविता संग्रै रौ अनुवाद), ‘जटायु’ (शीतांशु यशश्चन्द्र रै गुजराती कविता संग्रै रौ अनुवाद), ‘श्री राधा’ (रमाकांत रथ रै ओड़िया कविता संग्रै रौ अनुवाद), ‘सबदां रौ आभौ’ (सीताकांत महापात्र रै ओड़िया कविता संग्रै रौ अनुवाद), ‘नी छाया नी तावड़ौ (हरभजन सिंह रै पंजाबी कविता संग्रै रौ अनुवाद), ‘लाख पयाणी करूँ लाम्बौ’ (सुभाष मुखोपाध्याय रै बांग्ला कविता संग्रै रौ अनुवाद)
आर्ट माथै काम : ‘The Mahabharata: Mewari Miniature Paintings’ (1680-1698)
संपादन : मेडिवल इंडियन लिटरेचर (राजस्थानी खंड), ‘उतरा’ (राजस्थानी खंड), ‘निजराणौ’, ‘भारत भासा भागवत’ (भाग-1,2), ‘गुण हरिरस’, ‘पांडव यशेन्दु चन्द्रिका’ (स्वरूपदास देथा रचित राजस्थानी महाभारत), पंजाबी-राजस्थानी शबद्कोस, मराठी-राजस्थानी शब्दकोश