अर्जुन देव चारण
ख्यात कवि-आलोचक-नाटककार अर रंग निर्देसक। 'घर तौ नाम है अेक भरोसै रौ' माथै बिहारी पुरस्कार।
ख्यात कवि-आलोचक-नाटककार अर रंग निर्देसक। 'घर तौ नाम है अेक भरोसै रौ' माथै बिहारी पुरस्कार।
जन्म: 10 May 1954 | मथाणिया,भारत
आधुनिक राजस्थानी साहित्य में कवि, नाटककार अर आलोचक रै रूप में प्रतिष्ठित डॉ. अर्जुन देव चारण रौ जलम 10 मई 1954 में मारवाड़ धरा रै मथाणिया गाम मांय हुयौ। वांरा पिता रेवतदान चारण ‘कल्पित’ आधुनिक राजस्थानी कविता जातरा रा महताऊ कवि हा। आठवें दसक री राजस्थानी कविता जिण दौर-दायरे सूं सुरू हुवै, अर्जुन देव चारण उण सरुआत रा जातरू है। वांरी कवितावां समाज री नुगरी नस माथै ठावी तरियां चोट करै। सामंती समाज में लुगाई री अबखायां नै लेय’र रचियोड़ी वांरी कवितावां प्रगतिशील साहित्य री मिसाल है। कविता रै साथै वांरौ रंगकर्म जगचावौ है। आपरो पैलो नाटक ‘शास्त्र देखो शास्त्र’ हो। इण मांय आप मूल किरदार निभावण री खेचळ करी ही। ओ नाटक भारत रत्न भार्गव लिख्यो, जको पंचतंत्र री कहाणियां रै आलोक सूं सिरजीजियो। राजस्थानी भासा मांय पैला दो नाटक ‘गवाड़ी’ अर ‘शंकरियो’ रच्या। अजै तक लगैटगै वांरा दो दरजण सूं बेसी नाटक छप चुक्या है। अर्जुन देव चारण री ख्याति कवि-नाटककार रै साथै-साथै एक चावै आलोचक रै रूप में ई है। 'राजस्थानी कहाणी : परंपरा अर विकास', 'बगत री बारखड़ी’, 'पंचम वेद- 'नाट्य शास्त्र : नवीन दृष्टि', ‘कविता रौ मारग’ वांरी चर्चित आलोचना री पोथियां है। वांरी भूमिका जागती जोत अर अपरंच रै संपादक रै रूप में पण उल्लेखनीय रैई है। अर्जुन देव चारण नै बरस 1991 में वांरै नाटक ‘धरमजुद्ध’ माथै केंद्रीय साहित्य अकादमी रौ सर्वोच्च पुरस्कार मिल्यौ। वै राजस्थान संगीत नाटक अकादमी रा अध्यक्ष रै साथै जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर रै राजस्थानी विभाग रा अध्यक्ष अर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली रा अध्यक्ष ई रैय चुक्या है