अभिलाषा पारीक
नूवी पीढ़ी री कवयित्री।
नूवी पीढ़ी री कवयित्री।
जन्म: 09 Jun 1976 | जयपुर,भारत
अभिलाषा पारीक रौ जलम 9 जून 1976 नै जयपुर रै मांय हुयौ। राजस्थानी स्त्री लेखन में अभिलाषा पारीक रौ नांव आगली पांत में गिणीजै। वांरी लेखनी गद्य-पद्य दोनां में बरोबर चालै। 'सरद पुन्यूँ को चांद’ (काव्य संग्रै), 'ओळ्यूं को इंदरधनख’ (संस्मरण) वांरी प्रकाशित पोथियां है। साहित्य अकादमी दिल्ली सूं संपादित ‘रेत सागै हेत’अर नीरज दइया संपादित स्त्री स्वर 'लुगाई नै कुण गाई' आद में वांरी कवितावां संकलित है। राजस्थानी री लगैटगै सगळी पत्रिकावां अर आकाशवाणी-दूरदर्शन में वांरी रचनावां प्रसारित होंवती रैवै। आपनै कैई पुरस्कार मिल्या है, जिणमें राष्ट्र भाषा प्रचारिणी सभा, डूंगरगढ़ कानी सूं ‘राजस्थली अलंकरण’, सुमधुर जैपुर सूं ‘सुमधुर बेस्ट पोएट अवार्ड’ सामिल है।