माधौ मास अमोलिक आयौ॥

राग बसंत रमौं रघुनाइक, मन रुचि मीठौ भायौ॥

कुसम कलीर बिबधि बनमाला, मति मालनि उनि आनी।

कर बिन गूंथि करी तुम्ह कारनि, पहरौ सारंग प्राणी।

भार अठारह पुहपु पुजाऊं, हरि मधुकर भल भोगी।

नौखंड निरखि निमति तुम्ह आणी, चौसरि चाढण जोगी।

फूल फगर सेवा फल सूधौ, रुचि रूड़ी सुचि साही।

राखि क्रिपा करि ज्यूं जन जीवै, जिहिं बिधि निकसि जाही॥

पाखि पाछिलै पांचै पहली, माह महूरत नींकौ।

कह हरदास फाड़ि खत फागण, आगै आणंद जी कौ॥

स्रोत
  • पोथी : हरदास ग्रंथावली ,
  • सिरजक : संत हरदास ,
  • संपादक : ब्रजेन्द्र कुमार सिंघल ,
  • प्रकाशक : धारिका पब्लिकेशन्स, दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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