खड़ी टोपी में न बैठी टोपी में नै।
सेली में है नहीं झींगी में है भाई।
कैसौ में है न जड़ाव में है भला।
घोटम घोट करो नही पाई।
कथा में है न बभूत में है भला।
बसत्र काले पिले बिरथाई।
मोहन साहिब सांच का यार है।
सांच बिना सब स्वांग लजाई॥