कउवो चुगै कपूर, हंस हाल्यौ दिन कटै।
क्या मन की मरजाद, बात बेहमाता थटै।
स्वांनि चड़ै सुखपाल, गऊ सुत गुणि उठावै।
करि कैहर कूं कैदि, पिंडत पर भोमि हंढ़ावै।
पुरष पलीता पदमंणी, दातारा दालिद दिवंण।
पार तुहारा परंभ गुर, कैसे कहे पावै कवण॥