कउवो चुगै कपूर, हंस हाल्यौ दिन कटै।

क्या मन की मरजाद, बात बेहमाता थटै।

स्वांनि चड़ै सुखपाल, गऊ सुत गुणि उठावै।

करि कैहर कूं कैदि, पिंडत पर भोमि हंढ़ावै।

पुरष पलीता पदमंणी, दातारा दालिद दिवंण।

पार तुहारा परंभ गुर, कैसे कहे पावै कवण॥

स्रोत
  • पोथी : हिंदी संत परंपरा और संत केसो ,
  • सिरजक : संत केसोदास ,
  • संपादक : सुरेंद्र कुमार ,
  • प्रकाशक : आकाश पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स , गाजियाबाद – 201102 ,
  • संस्करण : प्रथम
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