जांकै रूप रेख बरण नहीं भेष है।

आवै दिसटी मुसटी स्याम नहीं सेत है।

हाक बाक सै रहत मान अमान भी।

हरि हां मोहन जाका धरै कौन विधि ध्यान भी॥

स्रोत
  • पोथी : संत कवि मोहनदास की वाणी और विचारों का अध्ययन ,
  • सिरजक : डाॅली प्रजापत ,
  • प्रकाशक : हिंदी विभाग, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर
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