जांकै रूप न रेख बरण नहीं भेष है।
आवै दिसटी न मुसटी स्याम नहीं सेत है।
हाक बाक सै रहत न मान अमान भी।
हरि हां मोहन जाका धरै कौन विधि ध्यान भी॥