हरि भगति बेलि मन में लगाय, ताके मन मुकता लागै फल रे।

बुधी मालिनी सींचनहारी, तामें प्रेम प्रभाव हो जल रे।

आतमाराम खरौ रखवारौ, तासे होय अचल रे॥

स्रोत
  • पोथी : स्वामी श्री रूपदासजी 'अवधूत' की अनुभव - वाणी ,
  • संपादक : ब्रजेन्द कुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : संत उत्तमाराम कोमलराम 'रामस्नेही' रामद्वारा, इंद्रगढ़ -कोटा (राजस्थान) ,
  • संस्करण : प्रथम
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