घर आवो जी स्याम भलांई सूं॥

बैठो पलंग पान मुख लीजै, राजी करूं अब कांई सूं।

जाळू जीभ लूंण भरूं यामें, राड़ि करी आतांई सूं।

तुम सूं कौन और मोहि प्यारो, जीवन म्हांको थांई सूं।

‘समनी’ के स्याम रिझाय लियो है, चन्द्रावलि बातां सूं।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य सुजस भाग-2 ,
  • सिरजक : समान बाई ,
  • संपादक : श्रीमती प्रकाश अमरावत ,
  • प्रकाशक : माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर।
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