तंडण कर कविता तणौ, घालूं चंडण घूब।

भंडण जोगै भेख रो, खंडण करणौ खूब॥

मोडां दो गै माळिया, गाबर फोगै गाल।

भोगै सुंदर भांमणी, मुफत अरोगै माल॥

खीरां बांनी ज्यूं खरा, बीरां छांनी ब्याध।

छ्यांनी पग धीरां धरे, सीरां कांनी साध॥

मा जाई कह मोडिया, करै कमाई कीर।

बाई कहै जिण बैन रा, बणै जँवाई बीर॥

आज काल रा साध रौ, ब्याज बुहारण बेस।

राज मांय झगड़ै रुगड, लाज आवै लेस॥

वडी हवेली वीच में, हेली सूं मिळ हाय।

बण सतगुरु छेली बखत, चेली सूं चिप जाय॥

झोटा ज्यूं साधू झपट, जोटां दे जुग टाळ।

चेली सूं चोंटा करै, रोटां हित रुगटाळ॥

जणियां जणियां नै जिकां, धणियाँ बिन ली धूँस।

मिळ भणियां अब मेट दूँ, हुरकणियां री हूंस॥

स्रोत
  • पोथी : ऊमरदान-ग्रंथावली ,
  • सिरजक : ऊमरदान लालस ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : तृतीय