दूहा

निरत करंत नित नगधर, धरपद धर धर ध्यांन।
निरत निरख सुर रीझतां, गावत गुण उर ग्यांन॥

छन्द - रैणकी

नव नव नित करत निरत नगधर वर, धर पद धर पर ध्यान धरं।
फरफर फरर फरत हर फेरिये, झर झर नभसु सुमन झरं।
हर हर कर शंकर गण उर हरखत, फररर फेरिय दे फिरणू।
मुझ असरण शरण करण घण मंगळ, हरण विधन दुख अघ हरणू॥

हळळळ त्रिशूल भुजांबल होवत, झळळळ कुंडळ कन झळकै।
भळळळ भाल कळळ निधि भळकत, खळळ गंगजळ सिर खळकै।
सळळळ मणधर गळमिळ सळबळ, हळमळ माळ हिये हलणू।
मुझ असरण शरण करण घण मंगळ, हरण विधन दुख अघ हरणू॥

घट घट घट व्यापक रमत सु घट घट, रट रट घटह अमट रमणू।
उलट पलट अंग लपट अपट पट, खुल लट मुकुट अलक खुलणू।
भैरव गण भूतड़ बांध गरट भट, फरगट नटसु सुलट फुरणू।
मुझ असरण शरण करण घण मंगळ, हरण विधन दुख अघ हरणू॥

दड़ दड़ड़ दड़ड़ डमरू सुन डाका, खज खोपड़ कर ले खड़डै।
कड़ कड़ करताळ करत पुनि कड़‌का, अड़बड़ भूतड़ गण अड़़ड़ै।
तड़ तड़ ताड़ मिलत बहु ताड़िये, हड़ड़ड़ हास होय हसणू।
मुझ असरण शरण करण घण मंगळ, हरण विधन दुख अघ हरणू॥

सणणण सहनाई सबहु सुण सोकर, गणण गयण नग युं गणणै।
घणणण दधिसुत होवत घण घोरण, भणण निगम मुख ब्रहम भणै।
भणणण भेर तूरिये भणणाटा, ठणणण थाल शबह ठहणू।
मुझ असरण शरण करण घण मंगळ, हरण विधन दुख अघ हरणू॥
जुड़्योड़ा विसै