छन्द अडळ

करता हरता श्री हींकारी,
काळी काळरयण कौमारी,
ससि-सेखरा सिध्धेसर-नारी,
जग नीमवंण जयो जडधारी॥1॥

धवा धवलगर धव धू धवला,
क्रसना रुबजा कचत्री कमला,
चलाचला चामुण्डा चपला,
विकटाविकट भू बाला विमला॥2॥

सुभगा सिवा जया श्री अंबा,
परिया परंपार पालंबा,
पिचासणि साकणि प्रतिबंबा,
अथ आराधिजे अवलंबा॥3॥

सं कालिका सारदा समया,
त्रिपुरा तारणि तारा त्रनया,
ओहं सोहं अखया अभया,
आई अजया विजया उमया॥4॥

छन्द-भुजंगी

देवी उम्मया खम्मया ईसनारी,
देवी धारणी मुण्ड त्रिभुवन्न धारी,
देवी सब्बदां रूप सीमा,
देवी वेद पारख्ख धरणी ब्रहम्मा॥1॥

देवी काळिका माँ नमो भद्रकाळी,
देवी दूरगा लाघवं चारिताली,
देवी दानवां काळ सुरपाळ देवी,
देवी साधक चारणं सिध सेवी॥2॥

देवी जख्खणी भख्खणी देव जोगी,
देवी निर्मळा भोज-भोगी निरोगी,
देवी मात जानेसुरी ब्रन्न मेहा,
देवी देव चामुंड संख्याति देहा॥3॥

देवी भंजणी दैत सेना समेता,
देवी नेतना तप्पना जया नेता,
देवी काळिका कूबजा काम कांमा,
देवी रेणुका सम्मला रांम रांमा॥4॥

देवी मालणी जोगणी मत्तमेधा,
देवी वेधणी सुर असुरां उवेधा,
देवी कांमही लोचना हांम कांमा,
देवी वासनी मेर माहेस वांमा॥5॥

देवी भूतड़ा अम्मरी वीस भूजा,
देवी त्रिपुरा भैरवी रूप तूजा,
देवी राखसं धोम रे रक्त रूती,
देवी दुर्ज्जटा विकटा जम्मदूती॥6॥

देवी गौरी रूपा अखां नव्व निद्धि
देवी सक्कळा अक्कळा स्रब सिद्धि,
देवी व्रज्ज विमोहणी वोम वांणी,
देवी तोतला गूंगला कत्तियांणी॥7॥

देवी चंद्रघंटा महम्माय चण्डी,
देवी वीहळा अन्नळा वड्ड-वड्डी,
देवी जम्मघंटा वदिजे जडंबा,
देवी साकणी डाकणी रूढ सब्बा॥8॥

देवी कंटकां हाकणी वीर कंवरी,
देवी मात वागेसरी, महागवरी,
देवी दंडणी देव वैरी उदंडा,
देवी वज्जया जया दैतां विखंडा॥9॥

देवी खेचरी भूचरी भद्रखेमा,
देवी पद्‌मणी सोभणी कळह प्रेमा,
देवी जमंणी मख्ख आहूति ज्वाला,
देवी वाहनी मंत्र लीला विसाला॥10॥

देवी मंगळा विजळा रूप मध्धै,
देवी अब्बळा सब्बळा वोम अध्धे,
देवी स्रग्ग सूं उत्तरी सिव माथै,
देवी सगर सुत हेत भगिरथ्थ साथै॥11॥

देवी हारणी पाप श्री हरि रूपा,
देवी पावनी पतितां तीर्थ भूपा,
देवी पुण्य रूपं देवी प्रम्म रूपं,
देवी क्रम्म रूपं देवी ध्रम्म रूपं॥12॥

देवी नीर देख्यां अंघ ओघ नासै,
देवी आतमानंद हीये हुलासै,
देवी देवता स्रव्व तोमां निवासै,
देवी सेवते सिव सारूप भासै॥13॥

देवी नांम भागीरथी नांम गंगा,
देवी गंडकी गोगरा रांम गंगा,
देवी सर्सती जम्मना सरी सिद्धा,
देवी त्रिवेणी त्रिस्थली ताप रूद्धा॥14॥

देवी सिन्धु गोदावरी मही संगा,
देवी गोमती धम्मळा बाण गंगा,
देवी नर्मदा सारजू सदा नीरा,
देवी गल्लका तुंगभद्रा गंभीरा॥15॥

देवी कावेरी ताप्ति क्रस्ना कपीला,
देवी सोण सतलज्ज भीमा सुसीला,
देवी गोम गंगा देवी वोम गंगा,
देवी गुप्त गंगा सुची रूप अंगा॥16॥

देवी नीझरण नवे सौ नदी नाळा,
देवी तोय ते तवां रूपं तुहाळा,
देवी मथुरा माइया मोक्षदाता,
देवी अंवती अजोध्या अघ्घहाता॥17॥

देवी कहां द्वारामति कांचि कासी,
देवी सातपुरी परम्मा निवासी,
देवी रंग रंगे रमे आप रूपे,
देवी घृत नैवेद ले दीप धूपे॥18॥

देवी रग्त बंबाऴ गळमाळ रूंडा,
देवी मुण्ड पाहारणी चंड मुंडा,
देवी भाव स्वादे हंसते वकत्रै,
देवी पांणपांणा पिये मद्‌य पत्रै॥19॥

देवी सहस्त्रं लखं कोटीक साथै,
देवी मंडणी जुद्ध मैखास माथै,
देवी चापड़ै चंड नै मुंड चीना,
देवी देव द्रोही दुहुं धम्मी दीना॥20॥

देवी धूमलोचन हूंकार धोंस्यौ,
देवी जाडबा में रक्तबीज सोस्यौ,
देवी मोडियो माथ निसुंभ मोड़ै,
देवी फोड़ियो सुंभ जीं कुंभ फोड़ै॥21॥

देवी सुंभ निसुंभ दर्पांधं छळिया,
देवी देव स्रग थापिया दैत दळिया,
देवी संघ सुरां तणां काज सीधा,
देवी क्रोड़ तेतीस उच्छाह कीधा॥22॥

देवी गाजता दैत ता वंस गमिया,
देवी नवे खंड त्रिभुवन तुज्झ नमिया,
देवी वन में समाधी सुरथ व्रन्नी,
देवी पूजते आसापूर्णा प्रसन्नी॥23॥

देवी वैस सूरथ्थ रा दीह वळिया,
देवी तवन तोरा कियां सोक टळिया,
देवी मारकंडे महा पाठ बांध्यौ,
देवी लगो तव पाय नो पार लाध्यौ॥24॥

देवी सप्तमी अष्टमी नौम नूजा,
देवी चौथ चउदस पूनम्म पूजा,
देवी सर्सती लख्खमी महाकाळी,
देवी कन्न विस्नु ब्रहम्मा कपाळी॥25॥

देवी रग्त नीलंमणी सीत रंगं,
देवी रूप अंबार विरूप अंगं,
देवी बाल युवा वृधं वेस बाळी,
देवी विस्व रखवाळ बीसां भुजाळी॥26॥

देवी वैस्णवी महेसी ब्रह्माणी,
देवी इन्द्रांणी चंदांणी रन्ना रांणी,
देवी नारसिंघी वराही विख्याता,
देवी इळा आधार आसूर हाता॥27॥

देवी कौमारी चामुण्डा विजैकारी,
देवी कुबेरी भैरवी क्षेमकारी,
देवी मृगेसं व्रख्ख हस्ती मइखै,
देवी पंख केकी गरूड़ धिरट पंखै॥28॥

देवी रथ्थ रेवंत सांरग राजै,
देवी वीमांणं पालखी पीठ व्राजै,
देवी प्रेत आरूढ आरूढ पदमं,
देवी सागरं सुमेरू गूढ सद्‌मं॥29॥

देवी वाहनं नाम कै वप्पराळी,
देवी खग्ग सूळंधरा खप्पराळी,
देवी कोप रै रूप में काळजेता,
देवी कृपा रै रूप माता जणेता॥30॥

देवी जग्त कर्त्तार भर्त्ता संहरता,
देवी चराचर जगत सब में विचरता,
देवी चार धामं स्थलं अष्ट साठै,
देवी पावियै अेक सौ पीठ आठै॥31॥

देवी माई हिंगोळ पच्छम्म माता,
देवी देव देवाधि वरदांन दाता,
देवी गंद्रपांवास अर्बद्‌द, ग्रांमै,
देवी थांण ऊडियांण समसांण ठांमै॥32॥

देवी गढे कोटे गरन्नार गोखै,
देवी सिंधु वेळा सवा सोखै,
देवी कांमरू पीठ अघ्घौर कूंडै,
देवी खंखरै द्रुमै कस्मेर खंडै॥33॥

देवी उतरा जोगणी पर उजेणी,
देवी भाल भरूअच्च भजनेर भेणी,
देवी देव जालंधरी सप्त दीपै,
देवी कंदरे सरवरै वाव कूपै॥34॥

देवी मेटळी माळ घूमै गरब्बै,
देवी काछ कन्नोज आसांम अम्बै,
देवी सब्ब खंडे रसा गिरि श्रृंगै,
देवी वंकड़े दुर्गमें ठाँ विहंगै॥35॥

देवी वम्मरै डूंगरै रन्न वन्नै,
देवी थूँबड़ै लींबड़ै थन्नै थन्नै,
देवी झंगरै चाचरै झब्ब झब्बै,
देवी अंबरे अंतरीखै अलंबै॥36॥

देवी निर्झरै तरवरे नगे नेसै,
देवी दिसे अवदिसे देसे विदेसै,
देवी सागरं बेटड़े आप संगै,
देवी देहरे घरे देवी दुरंगै॥37॥

देवी सागरं सीप में अमी श्रावै,
देवी पीठ तव कोटि पच्चास पावै,
देवी वेळसा रूप सामंद वाजै,
देवी बादळां रूप गैणांग गाजै॥38॥

देवी मंगळा रूप तू ज्वाळ माळा,
देवी कंठळा रूप तूं मेघ काळा,
देवी अन्नलं रूप आकास भम्मै,
देवी मानवां रूप मृतलोक रम्मै॥39॥

देवी पन्नगां रूप पाताळ पेसै,
देवी देवतां रूप तूं स्रग्ग देसै,
देवी प्रम्म रे रूप पिंड पिंड पींणी,
देवी सून रे रूप ब्रह्मांड लींणी॥40॥

देवी आतमा रूप काया चलावै,
देवी काया रै रूप आतम खिलावै,
देवी रूप वासन्त रे वन्न राजै,
देवी अग रे रूप तूं वन्न दाझै॥41॥

देवी नीर रे रूप तूं आग ठारै,
देवी तेज रे रूप तूं नीर हारै,
देवी ज्ञान रे रूप तूं जग्त व्यापी,
देवी जग्त रे रूप तूं धर्म थापी॥42॥

देवी धर्म रे रूप शिवशक्ति जाया,
देवी शिवशक्ति रूपे सत्त माया,
देवी सत्त रे रूप तूं सेस मांही,
देवी सेस रे रूप सिर धरा साही॥43॥

देवी धरा रे रूप खम्मया कहावै,
देवी खम्मया रूप तूं काळ खावै,
देवी काळ रे रूप उदंड वायै,
देवी वायु जळ रूप कल्पांत थायै॥44॥

देवी कल्प रे रूप कल्पांत दीपै,
देवी विस्नु रे रूप कल्पांत जीपै,
देवी नींद रे रूप चख विसन रूढी,
देवी विसन रे रूप तूं नाभ पूढी॥45॥

देवी नाभ रे कमळ ब्रह्मा निपाया,
देवी ब्रह्म रे रूप मधुकीट जाया,
देवी रूप मधुकीट ब्रह्मा डरायै,
देवी ब्रह्म रे रूप विस्नु जगायै॥46॥

देवी विस्नु रे रूप जंघा वधारै,
देवी मुकुंद रे रूप मधुकीट मारै,
देवी सावित्री गायत्री प्रम्म ब्रह्मा,
देवी सांच तण मेलिया जोग सम्मा॥47॥

देवी सूनी रे दूध तें खीर रांधी,
देवी मारकंड रूप तें भ्रांत बांधी,
देवी मंत्र मूलं देवी बीज बाला,
देवी वापणी स्रव्व लीला विसाला॥48॥

देवी आद अन्नाद ओंकार वांणी,
देवी हेक हंकार हींकार जांणी,
देवी आप ही आप आपां उपाया,
देवी जोग निद्रा भवं तीन जाया॥49॥

देवी मन्नछा माइया जग्ग माता,
देवी ब्रह्म गोविन्द संभु विधाता,
देवी सिद्धि रे रूप नव नाथ साथै,
देवी रिद्धि रे रूप धनराज हाथै॥50॥

देवी वेद रे रूप तूं ब्रह्म वांणी,
देवी जोग रे रूप माच्छंद्र जांणी,
देवी दांन रे रूप बळराव दीधी,
देवी सत्त रे रूप हरचंद सीधी॥51॥

देवी रढ्ढ़ रे रूप दसकंध रूठी,
देवी सील रे रूप सौमित्र त्रूठी,
देवी सारदा रूप पींगळ प्रसन्नी,
देवी मांण रे रूप दुर्जोण मन्नी॥52॥

देवी गदा रे रूप भुज भीम साई,
देवी साच रे रूप जुहिट्ठल ध्याई,
देवी कुन्ती रे रूप तें कर्ण कीधा,
देवी सास्त्रां रूप सैदेव सीधा॥53॥

देवी बांण रे रूप अर्जुन बन्नी,
देवी द्रोपदी रूप पांचां पतन्नी,
देवी पांच ही पांडवां परे त्रुठी,
देव पांडवी कौरवां परे रूठी॥54॥

देवी पांडवां कौरवां रूप बांधा,
देवी कौरवां भीम रे रूप खाधा,
देवी अर्जुणं रूप जैद्रथ्थ मार्‌यो,
देवी जैद्रथ्थं रूप सौभद्र टार्‌यो॥55॥

देवी रेणुका रूप तें रांम जाया,
देवी रांम रे रूप खत्री खपाया,
देवी खत्रियां रूप दुजरांम जीता,
देवी रूप दुजरांम रे रग्त पीता॥56॥

देवी रग्त रे रूप तूं जग्त जाता,
देवी जोगणी रूप तूं जग्त माता,
देवी मात रे रूप तूं अमी श्रावै,
देवी बाळ रे रूप तूं खीर धावै॥57॥

देवी जस्सुदा रूप कांनं दुलारै,
देवी कांन रे रूप तूं कंस मारै,
देवी चामुण्डा रूप खेतल हुलावै,
देवी खेतला रूप नारी खिलावै॥58॥

देवी नारि रे रूप पुरसां धुतारी,
देवी पुरसां रूप नारी पियारी,
देवी रोहणी रूप तूं सोम भावै,
देवी सोम रे रूप तूं सुधा श्रावै॥59॥

देवी रुक्मणी रूप तूं कांन सोहै,
देवी कांन रे रूप तूं गोपि मोहै
देवी सीत रे रूप तूं रांम साथै,
देवी रांम रे रूप तूं भग्त हाथै॥60॥

देवी सावित्री रूप ब्रह्मा सोहांणी,
देवी ब्रह्म रे रूप तूं निगम वांणी,
देवी गौरजा रूप तूं रूद्र राता,
देवी रूद्र रे रूप तूं जोग धाता॥61॥

देवी जोग रे रूप गोरख्ख जागै,
देवी गोरखं रूप माया न लागै,
देवी माइया रूप तें विस्नु बांधा,
देवी विस्नु रे रूप तें दैत खाधा॥62॥

देवी दैत रे रूप तें देव ग्रहिया,
देवी देव रे रूप के दनुज दहिया,
देवी मच्छ रे रूप तूं संख मारी,
देवी संखवा रूप तूं वेद हारी॥63॥

देवी वेद सुध वार रूपे कराया,
देवी चारणां वेद ते वार पाया,
देवी लख्खमी रूप तें भेद दीधा,
देवी राम रे रूप तें रतन लीधा॥64॥

देवी दसरथं रूप श्रवण विडारी,
देवी श्रव्वणं रूप पितु मात तारी,
देवी कैकयी रूप तें कूड़ कीधा,
देवी रांम रे रूप वनवास लीधा॥65॥

देवी मृग रे रूप तें सीत मोही,
देवी रांम रे रूप पाराध होई,
देवी बांण रे रूप मारीच मारी,
देवी मार मारीच लखणं पुकारी॥66॥

देवी लख्खणं रांम पीछे पठाई,
देवी रावणं रूप सीता हराई,
देवी सक्रारी रूप हनमंत ढाळी,
देवी रूप हनमंत लंका प्रजाळी॥67॥

देवी सांग रे रूप लखणं विभाड़ै,
देवी लख्खणं रूप घननाद पाड़ै,
देवी खगेसं रूप तें नाग खाधा,
देवी नाग रे रूप हरसेन बांधा॥68॥

देवी छकारा रूप तें रांम छळिया,
देवी रांम रे रूप दसकंध दळिया,
देवी कांन रे रूप गिरि नख्ख चाड़ै,
देवी नख्ख रे रूप हृणकंस फाड़ै॥69॥

देवी नाहरं रूप हृणकंस खाया,
देवी रूप हृणकंस इन्द्रं हराया,
देवी इन्द्र रे रूप तूं जग्ग तूठी,
देवी जग्ग रे रूप तूं अन्न बूठी॥70॥

देवी रूप हैग्रीव रे निगम सूंस्या,
देवी हैग्रीवं रूप हैग्रीव धूंस्या,
देवी राहु रे रूप तें अम्मी हरिया,
देवी विस्नु रे रूप तें चक्र फरिया॥71॥

देवी संकरं रूप त्रीपुर वींधा,
देवी त्रीपुरं रूप त्रिपुर लीधा,
देवी ग्राह रे रूप तें गज्ज ग्राह्या,
देवी गज्ज गोविन्द रूपै छुड़ाया॥72॥

देवी दधीची रूप तें हाड दीधौ,
देवी हाड रौ तख्ख तें वज्र कीधौ,
देवी वज्र रे रूप तें व्रत्र नाश्यौ,
देवी व्रत्र रे रूप तें शक्र त्राश्यौ॥73॥

देवी नारदं रूप तैं प्रश्न नांख्या,
देवी हंस रे रूप तत्त ज्ञान भाख्या,
देवी ज्ञान रे रूप तूं गहन गीता,
देवी कृष्ण रे रूप गीता कथीता॥74॥

देवी बालमिक व्यास रूपे तूं कृत्तं,
देवी रांमायण पुराणों भगवत्तं,
देवी काबां रे रूप तूं पाथ लूटै,
देवी पाथ रे रूप भाराथ जूटै॥75॥

देवी रूप अंधेर रे सूर गंजै,
देवी सूरजं रूप अंधेर भंजै,
देवी मैख रे रूप देवां डरावै,
देवी देवतां रूप तूं मैख खावै॥76॥

देवी तीर्थ रे रूप अघ विसम टारे,
देवी ईश्वरं रूप अधमं उधारे,
देवी पौन रे रूप तूं गरूड़ पाड़ै,
देवी गरूड़ रे रूप चत्रभुज चाड़ै॥77॥

देवी मांणसर रुप मुगता निपावै,
देवी मराळं रूप मुगता तूं पावै,
देवी वांमण रूप बळराव भाड़ै,
देवी रूप बळराव मेरू उपाड़ै॥78॥

देवी मेरगिर रूप सायर वरोळै,
देवी सायरं रूप गिरमेर बोळै,
देवी कूर्म रे रूप तूं मेर पूठी,
देवी वाडवां रूप तूं आग ऊठी॥79॥

देवी आग रे रूप सुर असुर डरिया,
देवी सरसती रूप तें तेथ धरिया,
देवी घड़ा रे रूप अगसत्त दीधौ,
देवी अगस्तं रूप सांमद पीधौ॥80॥

देवी समुंद्रं रूप तें हेम छळिया,
देवी पांडवां हेम रे रूप गळिया,
देवी पांडवां रूप तें भ्रांत भांगी,
देवी भ्रांत रे रूप तूं रांम लागी॥81॥

देवी रांम रे रूप तूं भगत तूठी,
देवी भगत रे रूप वैकुंठ बूठी,
देवी रूप वैकुंठ परब्रह्म वासी,
देवी रूप परब्रह्म सबमें वासी॥82॥

देवी ब्रह्म तूं विस्नु अज रुद्र रांणी,
देवी वांण तूं खांण तूं भूत प्रांणी,
देवी मन्न तूं पवन तूं मोख माया,
देवी क्रम्म तूं ध्रम्म तूं जीव काया॥83॥

देवी नाद तूं बिन्दु तूं नव्व निद्धि,
देवी सिव तूं सक्ति तूं स्रव्व सिद्धि,
देवी बापड़ा मानवी कांई बूझै,
देवी ताहरा पार तूं हीज सूझै॥84॥

देवी तूंज जांणै गति गहन तोरी,
देवी तत्त रूपं गति तूंज मोरी,
देवी रोग भव हारणी त्राहि मामं,
देवी पाहि पाहि देवी पाहि मामं॥85॥

देवी बारठ ईसरो बिरदावै
देवी सेवियां तने सर्व सुख पावै॥

छप्पय

रगता, सेता, रंणा, नमो माँ क्रसना नीला,
सीकोतरी, आसुरी, सुरी, सुसीला, गरवीला।
दीरघा, लघु, वपु, द्रढ़ा, सबेही रूप विरूपा,
वकळा, सकळा, व्रजा, उपावंण आप आपुपा।
घण पवण हुतासण सूं प्रबळ, चामुंडा वंदूं चरण,
कवि पार तूझ ‘ईसर’ कहै कालिका जांणे कवण॥1॥

घम घमंत घूघरी, पाय नेऊरी रणझंण,
डम डमंत डाकळी, ताळ ताळी बज्जे तंण।
पाय सिंघ गळ अड़ै, चक्र झळहळे चउदह,
मळे क्रोड़ तैतीस, उदो सुरियंद अणंदह।
अद्‌भूत रूप सकती अकळ, प्रेत दूत पाळंतियं,
गह गहे वार डमरू डहक, महमाया आवंतिय॥2॥

चढे सिंघ चामुण्ड, कमळ हुंकारव कद्धौ,
डरो चरन्तो देख, असुर भागियो अवद्धौ।
आदि सक्ति आपड़े, रूक वाहिये रमंतां,
खाळ रगत खळहळे, ढळे ढींगोळ धरंता।
हींगोळराय अठदस हथी, भ्रखै मैख भुवनेसरी,
कवि जोड़ पांण “ईसर” कहे उदौ उदौ आसापुरी॥3॥
स्रोत
  • पोथी : देवियांण ,
  • सिरजक : ईसरदास बारहठ ,
  • संपादक : जसवंतसिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय
जुड़्योड़ा विसै