दूहा
जग जणणी जगत अम्बा, मेहर करो महमाय।
भीड़ भंजणी भगवती, सदा रहो सुरराय॥
छन्द - सारसी
त्रिशूल धरणी शंख धरणी, चक्र धरणी तो कही।
भौ भीड़ हरणी कष्ट हरणी, दुष्ट हरणी हो सही।
सहाय करणी वेद वरणी, जगत जरणी या कही।
अवतार धरणी दुष्ट हरणी, आप करणी आव ही।
माँ आप करणी आव ही॥
भय असुर जदं महा मदं रूप तदं धारिया।
पिय छाक जदं रक्त मदं दंत मदं गारिया।
खग सूळ झाळं अरिपाळं, दैत घालं घाव हो।
अवतार धरणी दुष्ट हरणी, आप करणी आव हो।
मां आप करणी आव ही॥
महारूप काळी क्रोधवाळी, विक्कराळी चौ सही।
धर मृग चाली अंक वाळी, मुण्ड माळी सौभ ही।
कर खड़ग झाली खप्पराळी, दैत घाली मौत ही।
अवतार धरणी दुष्ट हरणी, आप करणी आव ही।
मां आप करणी आव ही॥
बाकास मारण कष्ट जारण, खड़ग खप्पर कर धरा।
वेडार तूण्डं मार मूण्डं, तोड़ तूण्डं गळ धरा।
सुर ताग लीना अरि छीना, दूर कीना दुख्ख ही।
अवतार धरणी दुष्ट हरणी आप करणी आव ही।
मां आप करणी आव ही॥
इण समय आवो दुष्ट खावो, दुख बधायो तावड़ी।
कुल जात चारण अंश वारण, पूत तारण मावड़ी।
रामैय राजी होय माजी, विद्या ताजी आप ही।
अवतार धरणी दुष्ट हरणी, आप करणी आव ही।
मां आप करणी आव ही॥