बादल बिना न मेह, बिना नर देह न पुण्य वर।
खेवट बिन नहीं जहाज, हुवे बिन पाज न को सर।
मात बिना नहीं बाल, माल बिन अरहट ना है।
जंत्र बिना न तार, गौड बिन मंत्र का है।
गुरुदेव बिना यूं ज्ञान नहिं, देखे जन सबहि दुरस।
हरिदेव दास निज गुरु सही, अह निशि पद पंकज परस॥