रैन द्योस नहिं दुरहिं दुरहिं नहिं चंद प्रकासा।
दामिनि दमकि न दुरहि गोपि नहिं उर की आसा॥
छिपै न भ्वैं भ्वैंचाल गहन गति सब कोइ जानै।
इंद्र गाज बड़ नालि बोलि छूटै नहिं छानै॥
जग जानै जामण मरण उगै बीज सू बोइये।
त्यूं रज्जब मन माहिली कहौ कौन बिधि गोइये॥