अैसी यहं रीतिसौं लुभांनै बलि बारंबार,
कहीहू न जात सुनी बात न जे चलियां।
रावरै तौ रीझि इन बातनकी परी आय,
चंद चाहि चंदमुखि मिलियां न गलियां।
भीजी अनुराग उन अंगनकैं राग अंग,
अंग प्रति राग जाकैं रंगरीझ छलियां।
चन्द्रिकान चलियां चकोरूंकी अवलियां वे,
चौकीदार भई हैं चंबेलिनकी कलियां॥