इण सूं हेत म्हांनै।
ऊंचा-ऊंचा डूंगर इणरा, ऊंची नीची घाट्यां।
खेत रुखाळी करै खेजड़ा कांधै ले-लै लाठ्यां॥
सोना सो बूरो रेतड़ली, बीज कुणी ये छाट्यां।
यो है म्हारो राजस्थान...॥
रागां रो रंगीलो समदर लहरां लेती लोरियां।
तीज तिवांरा धमचक उड़ती निरत करै गणगोरियां॥
मोड़ बंधायां छण मं निकलै जौहर री बंदोरियां।
यो है म्हारो राजस्थान...॥
मरुधर मूंडै उजळी रेतां झिळमिळ धोरां जाणी।
मोट्यारां नै मोठ बाजरी टाबर नै गुड़ धाणी॥
जुगरी गाथा मूंडै बौले तलवारां रो पाणी।
यो है म्हारो राजस्थान...॥
खीचड़लो कूटै घर-घर मं रेजी काते राट्यां।
छाछ राबड़ी भरै सबड़का मूंछा होठां चाट्यां॥
घणी-घणी ये मौजां माणे खाव चूरमो बाट्यां।
यो है म्हारो राजस्थान...॥
अलबेलो चित्तौड़ राज यो जोधपुरो रणधीर।
नगर गुलाबी जयपुरियो बीकाणो हिवड़े हीर॥
झीलां रै संग मौज माणतो उदयापुर कशमीर।
यो है म्हारो राजस्थान...॥
काया पलट करै धरती री चंबल और बनास।
पन्ना, पदमण, मीरां ज्योती जोधो दुर्गादास॥
हळदीघाटी लारै बोले राणा रो इतिहास।
यो है म्हारो राजस्थान...॥
नुवां पंथ निरमाण रचरिया राजस्थानी जाया।
ज्वार बाजरा रा खेतां मं अलगोजा घरणाया॥
राजस्थानी नहर मांयनै जाणै गंगा न्हाया।
यो है म्हारो राजस्थान...॥
सुख-दुख ऐक सरीखो जाणै हुवै न काची काया।
हिम्मत पाण जीवणो जाणै काल सुकाळी छाया॥
मोड़ बांधनै मौत परण लै राजस्थानी जाया।
यो है म्हारो राजस्थान...॥