बिरखा रा बायरिया सूं
नूंवां किंवाड़ आंवसग्या
अर जुड़नी कोनी आया तो
किंवाड़ रा सांकळ कूंदा पूछ्यो-
रे भायलां या कांई बात हुई?
किंवाड़ चरड़चूं करता बोल्या
अर आंवसबा रा भेद खोल्या कै-
ईं बिरखा पौन सूं म्हारो
काळजो हरख सूं फूल जावै!
ईं रुत मांय रूंख उपरला
दन याद आवै।