थारी आंख्यां सूं

झरती संवेदना

ओळखांण मांय है म्हारै,

ज्यूं कोई टाबर नै रेवै याद

आपरी मां री कांचळी री गंध।

थारै हाथां रौ ताप,

म्हैं छाप लीनौ मन मांय,

ज्यू छापै है कबूतर

चूण देवती बूढ़की मां रौ घर।

थारी थपकी याद है म्हनै

ज्यूं बाछड़ै नै याद हुवै

आपरी मां री जुबान।

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै