कुण कैवै

उडण सारु पग

भोत जरूरी है

देखो भंवै है नीं

बिना पग, पांख

आखै जग में!

पाणीं सोधती रेत

जठै मिलै

बठै बैठ जावै

बांथ घाल’र जळ रै

रेत पाळै

जळ सूं हेत

बिना पग-पांख!

स्रोत
  • पोथी : भोत अंधारो है ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै