बुध घणी बळवान

करै बिचार

अर

थारै-म्हारै मांय बांटै

सगळौ संसार

पण

हिवड़ौ घणौ लाचार

आखै जग नै

भावनावां सूं तोलै

थारी-म्हारी कोनी जाणै

सगळां नै ही

आपरौ कर’र बोलै।

स्रोत
  • पोथी : आंगणै सूं आभौ ,
  • सिरजक : भारती कविया ,
  • संपादक : शारदा कृष्ण ,
  • प्रकाशक : उषा पब्लिशिंग हाउस ,
  • संस्करण : प्रथम
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