म्हनै ईसकौ है

अर भेद

म्हैं छिपायौ कोनी।

म्हैं जाणूं—

कठैई रैवै अेक टाबर

जिण सूं म्हनै ईसकौ है—

क्यूं कै वौ लड़ाईखोर है

म्हैं कदैई नीं हौ

इतौ सैज, इतौ हीमती।

म्हनै ईसकौ है

उणरी हँसी सूं—

म्हैं टाबरपणै में नीं हंस्यौ यूं

वौ चींथरा में राज़ी व्हियोड़ौ फिरै।

म्हैं रईसी में पळ्यौ

जिकौ म्हैं नीं बांच सक्यौ

पोथ्यां में

वौ उणनै ज़रूर बांचैला

इण में वौ म्हारै सूं बधगौ।

वौ व्हैला सांचौ अर साफ़ दिल

चोखापै सारू भूंडापै नै

कदैई माफ़ नीं करैला

अर जठै म्हारी क़लम

‘फालतू है... मांन’ अटकै—

वौ कैवैला

“फालतू कठै...।”

अर क़लम उठावैला

सुळझावैला

नीं व्हियौ तौ काट देवैला

अर म्हैं

नीं तौ सुळझावूंला, नीं काटूंलां।

वौ चावैला तौ अेक बार

म्हैं उणरौ लाड (?) करूंला

अर बारूंबार

ईसकै नै छिपाऊंला

मुळकूं ला अर बणूंला

जांणै कीं नीं जांणूं

सीधौ हूं

कुण ग़लती नीं करै

किणसूं चूक नीं व्है...।”

खुदनै समझाऊं

बारूंबार दोवड़ाऊं—

“हरेक रौ आपरौ भाग है।”

पण भूल नीं सकूं

कठैई है अेक टाबर

ज़रूर प्राप्ती करैला बत्ती

म्हारै सूं बत्ती।

स्रोत
  • पोथी : परंपरा ,
  • सिरजक : येव्गेनी येव्तुशेंको ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थांनी सोध संस्थान चौपासणी
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