कुरस्यां माथै

बिराज्या सबद

सरणाटा हुवै

ताबूत दीसैला

इण भासावां रा

राजधानियां रै शवदाह घरां में

सबद संस्कारीजै नीं

संस्कार हुवै इणां रा आखरी

कादै भरी गळ्यां रै गळै सूं

जद नीसरै

अस्फुट स्वर

धुंधळा माटी रंग रा

आभै रै बारणै

बंध जावै

सबदां री बंदणवार

सजावट सजा हुवै

सबदां खातर

अेक भासा

घिसबा सूं जवान हुवै।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : चैन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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