चुगली करनी अेक अजब कला होवै

कईयां री की बात, मनड़ै नै मोवै

सबदां सागै ईसी जोड़ै सुर'र ताल

कई घर चक दिया कलो काकी रा कमाल

जिकै घर पूगगी कलो काकी

बठै न्यारो चूल्हा अर न्यारी चाकी

काकी जाणै सगळे बासरी कहाणी

सोचां, काकी है कै आकाशवाणी

बां रै घरांसू निकळती काकी बोली

पूछ'र आई हूं बांरो हालचाल

घण्टै 'क पाछै बां रै आंगणे, बाजै धमाळ

अेक दिन धापी आरी मोटोड़ी बीनणी

माथै खूब रंग चढ़ायो,

बे’रो नी कुणसो मंत्र हो, आथण डैणती

रो भोड़, मतीरै दाईं फुड़वायो

बै मीठी-मीठी सी बातां,

अर हाथां री अलबेली अदावां,

काकी आगे लादै चावै किनै जावां

धुन री पकी अर आपरै काम री ईमानदार

काकी कठै फेल कोनी होई, हो रिकार्ड स्यानदार।

स्रोत
  • पोथी : तीजो थार-सप्तक ,
  • सिरजक : सतीश गोल्याण ,
  • संपादक : ओम पुरोहित 'कागद' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै