एक हाथ घूंघटा में, छोटो घणो मुखड़ो,

छोटो-सो है तन पण, मोटो घणो लूगड़ो।

नाक माथे नथड़ी ने, पगां माये पायल,

झूमरियां है काना मांय, नैण मांय काजल,

पग ने हिलायो थोड़ो, बाज गई पायल,

बनी बैठी बण-ठण, बनो सूखो रूखंड़ो।

एक हाथ...।

है बीस बरस बनो, बनी दस साल री,

बनो हांचो चाले पण, बनी धीमी चाल री,

भीगी-भीगी पलंका सूं, टेढ़ी-टेढ़ी भालरी,

मुं तो सीधी चालू पण, बनो जाणे कूकड़ो।

एक हाथ...॥

रत्ती भर खांमी कोनी, बाई थारा तन में,

म्हाने थूं बता दे गौरी, काई थारा मन में

सहेल्यां ने सोच लागो, सोच लियो मन में

बनो रुक्यो एक रात पण ले गयो फूलड़ो।

एक हाथ...॥

जोशीड़ा में जोश घणो, बोल्यो ऊंची राग में,

कांई तो कसर कोनी, बाई थारा भाग में,

जिन्दगी तो जल गई, मिल गई खाक में,

जिन्दगी री यात्रा में, घणो होसी दुखड़ो।

एक हाथ...॥

स्रोत
  • पोथी : बदळाव ,
  • सिरजक : जगदीश सैन ,
  • संपादक : सूर्यशंकर पारीक ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाश मन्दिर, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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